एक नए अध्ययन में यह पाया गया है कि सामाजिक-आर्थिक असमानताएं उम्र बढ़ने और डिमेंशिया से जुड़ी मस्तिष्क संरचना और कनेक्टिविटी में महत्वपूर्ण बदलाव का कारण बन सकती हैं। यह अध्ययन ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किया गया, जिसमें यह पता चला कि असमानता का सीधा संबंध मस्तिष्क के घटते वॉल्यूम से है, जो उम्र बढ़ने और मानसिक बीमारियों के विकास को प्रभावित कर सकता है।
असमानता का असर मस्तिष्क के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर
शोधकर्ताओं ने पाया कि सामाजिक-आर्थिक असमानताओं का मस्तिष्क के टेम्पोरो-पोस्टीरियर और सेरिबेलर क्षेत्रों पर सबसे गंभीर असर पड़ता है। ये क्षेत्र स्मृति और संज्ञानात्मक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। अध्ययन में यह भी दिखाया गया कि अल्जाइमर रोग से प्रभावित लोगों पर असमानताओं का सबसे गंभीर असर पड़ता है।
इसके विपरीत, फ्रंटोटेंपोरल लोबार डिजनरेशन (FTLD) के मरीजों में इस प्रभाव की तीव्रता थोड़ी कम पाई गई, जिसे आनुवंशिक कारणों से जोड़कर देखा गया। यह निष्कर्ष इस बात को भी दर्शाता है कि डिमेंशिया के रोगियों में मस्तिष्क की संरचना और कनेक्टिविटी में कमी अक्सर देखी जाती है, और यह रोग की प्रगति और गंभीरता से जुड़ा हुआ होता है।
शोध में मस्तिष्क स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों का महत्व
शोधकर्ताओं ने व्यक्तिगत कारकों जैसे कि शिक्षा, आयु, लिंग और संज्ञानात्मक क्षमता को ध्यान में रखते हुए भी सामाजिक-आर्थिक असमानताओं का मस्तिष्क पर असर पाया। यह मस्तिष्क स्वास्थ्य को आकार देने में मैक्रो-स्तरीय कारकों की भूमिका को रेखांकित करता है। ट्रिनिटी कॉलेज के वैश्विक मस्तिष्क स्वास्थ्य के प्रोफेसर डॉ. अगस्टिन इबनेज ने कहा, “यह शोध मस्तिष्क स्वास्थ्य को आकार देने में संरचनात्मक असमानता की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।”
उन्होंने कहा, “निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मनोभ्रंश दरों में वृद्धि को देखते हुए, हमारे निष्कर्ष मस्तिष्क स्वास्थ्य असमानताओं के मूल कारणों को संबोधित करने के लिए लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर देते हैं, जो प्रत्येक क्षेत्र के लिए विशिष्ट प्रतीत होते हैं।”
वैश्विक मस्तिष्क स्वास्थ्य अनुसंधान में नई दिशा
शोधकर्ताओं ने यह भी सुझाव दिया कि वैश्विक मस्तिष्क स्वास्थ्य अनुसंधान में सामाजिक और शारीरिक कारकों को एकीकृत करने की आवश्यकता है। इनमें लोकतांत्रिक शासन, वायु प्रदूषण, प्रवास, जलवायु परिवर्तन और हरित स्थानों तक पहुंच जैसे कारक शामिल हो सकते हैं।
इन क्षेत्र-विशिष्ट कारकों की पहचान और समाधान से लक्षित हस्तक्षेप संभव हो सकते हैं, जिससे त्वरित मस्तिष्क वृद्धावस्था को कम किया जा सकता है और वंचित समुदायों में डिमेंशिया के बोझ को घटाया जा सकता है।
निष्कर्ष
इस अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि सामाजिक-आर्थिक असमानताएं मस्तिष्क स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं और डिमेंशिया जैसे मानसिक विकारों की प्रगति को तेज कर सकती हैं। इसलिए, मस्तिष्क स्वास्थ्य असमानताओं को समझने और उन्हें दूर करने के लिए उपयुक्त हस्तक्षेप और रणनीतियों की आवश्यकता है।
(इनपुट-आईएएनएस)